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Scientists Made Wine From Pomegranate New Business Better Income Good For Health Too

वैज्ञानिकों ने बनाई अनार से वाइन: नया बिजनेस, बेहतर आमदनी, स्वास्थ्य के लिए भी फाइन

शैलेश अरोड़ा, सोलापुर, महाराष्ट्र Published by: Shailesh Arora Updated Wed, 24 Apr 2024 01:03 PM IST
सार

महाराष्ट्र के सोलापुर में स्थित राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र ने अनार से वाइन बनाने की नई तकनीक विकसित की है। यह संस्थान अनार से वाइन बनाने की तकनीक मुहैया कराने से लेकर इसकी पैकेजिंग और मार्किटिंग करने में उद्यमियों की पूरी मदद कर रहा है।

अनार से बनी वाइन
अनार से बनी वाइन - फोटो : गांव जंक्शन

विस्तार
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यह तो सभी जानते हैं कि शराब का सेवन सेहत के लिए हानिकारक है। लेकिन, महाराष्ट्र के सोलापुर में स्थित राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की मानें तो सीमित मात्रा में अनार वाइन का सेवन कैंसर से लेकर दिल की बीमारियों से बचाने में मददगार हो सकता है।

अनार अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीलेश गायकवाड़ बताते हैं, हमारे संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. दिनेश बाबू और उनकी टीम ने करीब दो साल के शोध से अनार वाइन की तकनीक विकसित की है। यह वाइन स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट, कई तरह के विटामिन्स जैसे - विटामिन-ए, विटामिन-के, विटामिन-ई, विटामिन-सी, आयरन और तमाम तरह के न्यूट्रिएंट्स होते हैं। इसमें कैंसर-रोधी गुण हैं। विशेषकर प्रोस्टेट कैंसर से बचाव में यह काफी फायदेमंद हो सकती है।

गायकवाड़ कहते हैं, एंटी-ऑक्सीडेंट गुणों के कारण अनार वाइन का सेवन एक तरफ कैंसर से बचाता है; वहीं दूसरी ओर, कैंसर के शुरुआती स्टेज में भी यह वाइन फायदा करती है। हृदय रोगों से बचाने में भी यह मददगार हो सकती है। धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमने की समस्या से बचाने में भी यह वाइन फायदेमंद हो सकती है। यह कोलेस्ट्रॉल को बॉडी में जमा होने से रोकती है। इसके सेवन से हाई ब्लडप्रेशर से भी बचाव होता है। 
 
21 दिन में तैयार होती है वाइन
डॉ. गायकवाड़ बताते हैं, वाइन तैयार करने के लिए अनार के साथ विशिष्ट कल्चर विधियों का इस्तेमाल किया जाता है। लगभग 20-21 दिन में इसका फर्मेंटेशन (जैव-रासायनिक क्रिया) पूरी हो जाती है। फिर, इसे निकालकर कुछ निर्धारित प्रक्रिया से रिफाइन करके बोतल में भरा जाता है।

वह कहते हैं, यदि कोई व्यक्ति रोजाना 50 से 100 एमएल वाइन पीता है तो यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है और कई बीमारियों से बचा सकती है। अनार वाइन में मेलाटोनिन नामक कंपाउंड होता है, जो अनिद्रा से लड़ने में मददगार है। इस तरह, अनिद्रा से पीड़ित लोगों के लिए यह वाइन काफी फायदेमंद हो सकती है। 

अनार वाइन, आमदनी फाइन 
यह अनार वाइन सिर्फ स्वास्थ्य के लिए ही फायदेमंद नहीं है, बल्कि इसे आमदनी के लिहाज से भी काफी लाभप्रद बताया जा रहा है। डॉ. गायकवाड़ कहते हैं, अनार की खेती करने वाले किसान जानते हैं कि 'ए' ग्रेड का फल यानी जो सबसे अच्छी क्वालिटी का होता है, वह तो बाजार में आराम से अच्छे दाम पर बिक जाता है। लेकिन, 'बी' और 'सी' ग्रेड का फल बेचने में समस्या आती है। उसके दाम भी अच्छे नहीं मिलते। एक अच्छी बात यह है कि इस 'बी' और 'सी' ग्रेड के अनार का इस्तेमाल इस वाइन को बनाने में हो सकता है।

कई बार फल बाहर से सड़ा हुआ या खराब दिखता है, लेकिन अंदर से सही होता है। ऐसे में, फल को बेचना मुश्किल होता है। जबकि, वाइन बनाने में इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। राजस्थान जैसे राज्यों का तापमान ऐसा है कि कई फल फट जाते हैं, इसे लोग नहीं खरीदते, जबकि इसके दाने में रस पूरा रहता है। इसका इस्तेमाल वाइन बनाने में किया जा सकता है। इस तरह, खराब दिखने वाले फल से भी वाइन बनाकर अच्छी आमदनी की जा सकती है।
 
कृषि मेले में लोगों को अनार वाइन की प्रोसेसिंग और इसके फायदों की जानकारी देते हुए
कृषि मेले में लोगों को अनार वाइन की प्रोसेसिंग और इसके फायदों की जानकारी देते हुए - फोटो : गांव जंक्शन
प्लांट लगाने में करीब 15 लाख का खर्च
यदि कोई उद्यमी इस वाइन को बनाने के लिए छोटा प्लांट लगाना चाहता है तो लगभग 15 लाख रुपये का खर्च आएगा। छोटे या मध्यम स्तर पर किसान इसकी यूनिट लगा सकते हैं। सबसे अच्छा होगा यदि कुछ किसान समूह में मिलकर इसकी यूनिट लगा लें। बागवान यदि ऐसी यूनिट लगाते हैं, तो यह उनके लिए अधिक फायदेमंद हो सकता है। अच्छे फलों को बाजार में बेचने के साथ-साथ खराब दिखने वाले फलों से वाइन बनाकर बेच सकते हैं। इस तरह, उनकी आमदनी अच्छी होगी।

जिन क्षेत्रों में अनार का उत्पादन अधिक है, वहां अनार वाइनरी लगाकर अच्छा मुनाफा लिया जा सकता है। जब समूह में जुड़कर किसान यह काम करेंगे, तो उनके लिए मार्केटिंग करना भी सरल हो जाएगा। किसान चाहें तो खुद का ब्रांड बना सकते हैं। इसमें समस्या आती है, तो किसी अन्य वाइनरी या कंपनी की मदद से इसे बेच सकते हैं। वैसे भी वाइन का ट्रेंड काफी बढ़ा है, इसका मार्केट बढ़ रहा है। इस तरह की यूनिट लगाकर रोजगार के अवसर काफी बढ़ सकते हैं।

राष्ट्रीय अनार अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ आरए मराठे कहते हैं, बाजार में इतना उतार-चढ़ाव होता रहता है कि किसान आज अनार की फसल तोड़ते हैं, तो कई बार अगले दिन ही उसके दाम गिर जाते हैं। अगर फल हल्की गुणवत्ता का हो, तो उसके भी अच्छे दाम नहीं मिलते। जबकि, अनार का मूल्य संवर्धन किया जाए, तो अच्छा मुनाफा मिल सकता है। फिर, अनार वाइन तो औषधीय महत्व रखती है। आजकल लोग भी अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हो रहे हैं।

ऐसे में, इसका बाजार मिलने की भी समस्या नहीं होगी। अधिकतर वाइन अंगूर से बनती हैं।  अनार से बनी वाइन अपने आप में खास है। हमारे संस्थान ने जो तकनीक तैयार की है, उसे अब हम व्यावसायिक रूप से बाजार में उतारने की तैयारी कर रहे हैं। जो भी व्यक्ति इस तकनीक को लेकर वाइन बनाना शुरू करना चाहते हैं, वो हमसे संपर्क कर सकते हैं।

 

ऐसे मिलेगी अनार से वाइन बनाने की तकनीक
अगर आप इस तकनीक को लेकर अनार वाइन बनाना शुरू करना चाहते हैं, तो अनार अनुसंधान केंद्र के निदेशक कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए, संस्थान की वेबसाइट पर जाकर संपर्क किया जा सकता है। https://nrcpomegranate.icar.gov.in/ यहां पर संस्थान के फोन नंबर के अलावा ईमेल आईडी भी दी गई हैं। संस्थान के निदेशक डॉ. आर.ए. मराठे कहते हैं कि संस्थान से जो भी व्यक्ति तकनीक लेता है, उसे पूरा सहयोग दिया जाता है, इसमें प्लांट लगाने में तकनीकी सहायता और मशीनों को चलाने का प्रशिक्षण शामिल है।

इस वाइन का जो मानक निर्धारित है, उसके अनुसार, वाइन बनाने की जानकारी भी दी जाती है। जब तक व्यक्ति खुद उस गुणवत्ता की वाइन नहीं तैयार कर लेता, उसे विशेषज्ञों द्वारा सहयोग दिया जाता है। फिर, आईसीएआर के राष्ट्रीय संस्थान की तकनीक होने का भी व्यक्ति को फायदा मिलता है। विभिन्न प्रकार की एनओसी से लेकर मार्केटिंग तक आसानी होती है। लोगों को गुणवत्ता का विश्वास भी रहता है। 

ऑक्सीजन के संपर्क में न आए, तो सुरक्षित रहती है अनार वाइन
इस अनार वाइन में एल्कोहल की मात्रा करीब 12 फीसदी होती है। जिस तरह अन्य वाइन के लिए कहा जाता है कि वह जितनी पुरानी होगी, उतनी ही अच्छी होती है। उसी तरह, अनार से बनी यह वाइन भी जितनी पुरानी होगी, उतनी ही अच्छी होगी। हालांकि, यह ध्यान रहे कि यह जैसे ही ऑक्सीजन के संपर्क में आएगी, तो इसका रंग बदलने लगेगा। अगर सीलबंद रहे, ऑक्सीजन के संपर्क में न आए तो इसके गुण बने रहते हैं। लेकिन, सील टूटने के बाद यदि इसे रखा जाता है, तो इसके गुणों में बदलाव हो सकते हैं।