Paper Industry Urges Govt To Allot Degraded Land For Pulpwood Plantation
Pulpwood Plantation: लुगदी बागान के लिए पट्टे पर मिले बंजर भूमि, कागज उद्योग संगठन ने सरकार से की मांग
गांव जंक्शन डेस्क, नई दिल्ली
Published by: Umashankar Mishra
Updated Sun, 05 May 2024 07:54 PM IST
सार
भारतीय कागज उद्योग ने सरकार से कच्चे माल की कमी को दूर करने और ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए लुगदी के बागान के लिए कागज मिलों को दीर्घकालिक पट्टे पर बंजर भूमि उपलब्ध कराने का आग्रह किया है।
इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने हाल में कहा है कि कागज उद्योग को कच्चे माल के रूप में आवश्यक लकड़ी की कमी का सामना करना पड़ा है, जो भारत में मिलों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। इसे देखते हुए, एसोसिएशन ने पल्पवुड वृक्षारोपण के लिए बंजर भूमि आवंटित करने के लिए सरकार से मांग की है।
उद्योग ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि देश में बंजर भूमि का एक बड़ा हिस्सा उपलब्ध है और यहां तक कि अगर इसका एक छोटा-सा हिस्सा पल्पवुड वृक्षारोपण के लिए पेपर मिलों को पट्टे पर आवंटित किया जाता है, तो यह उद्योग के विकास और भारत की हरियाली के लिए गेमचेंजर हो सकता है।
इंडियन पेपर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (आईपीएमए) ने शनिवार को एक बयान में कहा कि कागज उद्योग को उसके प्रमुख कच्चे माल के रूप में लकड़ी की कमी का सामना करना पड़ा है और यह भारत में मिलों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है।
आईपीएमए ने कहा कि जहां कागज उद्योग कृषि वानिकी प्रयासों को जारी रख रहा है, वहीं घरेलू उद्योग की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लुगदी के बागानों को तेजी से बढ़ाने की जरूरत है।
इसमें कहा गया है, देश में उपलब्ध निम्नीकृत भूमि का एक अंश उद्योग को पल्पवुड वृक्षारोपण के लिए पट्टे पर प्रदान किया जाता है, तो यह घरेलू विनिर्माण के विकास, ग्रामीण सशक्तिकरण और भारत की हरियाली के लिए गेम चेंजर हो सकता है।
आईपीएमए के अध्यक्ष पवन अग्रवाल ने कहा, हम सरकार को यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह जमीन लंबी अवधि के पट्टे पर कागज उद्योग को दी जा सकती है। यह न केवल कागज मिलों को, बल्कि कई लकड़ी आधारित उद्योगों को वांछित मात्रा में लकड़ी प्रदान करेगी, साथ ही भारी मात्रा में उत्पादन भी करेगी। इससे ग्रामीण रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा।
अग्रवाल ने कहा कि अगर घरेलू कृषि वानिकी को प्रोत्साहित नहीं किया गया तो रद्दी कागज और लकड़ी के गूदे का आयात और बढ़ाना होगा, जिससे उद्योग और अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ेगा।
आईपीएमए ने यह भी कहा कि लकड़ी की खरीद के लिए, उद्योग पिछले कई वर्षों से 5 लाख से अधिक सीमांत किसानों के साथ लगातार काम कर रहा है और कृषि वानिकी के माध्यम से 12 लाख हेक्टेयर से अधिक बंजर भूमि में वृक्षारोपण किया गया है।
आईपीएमए का अनुमान है कि कई वर्षों तक देश में कागज की खपत में प्रति वर्ष 6-7 प्रतिशत की वृद्धि होगी। आईपीएमए ने उल्लेख किया है कि पैकेजिंग के लिए बायोडिग्रेडेबल और टिकाऊ सामग्री के रूप में कागज की उपयुक्तता, विशेष रूप से एकल-उपयोग प्लास्टिक को बदलने के लिए, अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में कागज के उपयोग को बढ़ावा दे रही है।
इसमें कहा गया है कि इस कदम से देश के कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में भी मदद मिलेगी। इसमें कहा गया है कि भारत को 2030 तक 2.5-3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने के लिए अतिरिक्त 25-30 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को वन और वृक्ष आवरण के तहत लाने की जरूरत है।
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