Drought In Coimbatore Coconut Trees Are Being Affected Production May Be Affected Know Everything
कोयंबटूर में सूखे का दौर: नारियल के पेड़ों पर पड़ने लगा असर, प्रभावित हो सकता है उत्पादन, जानें सबकुछ
गांव जंक्शन डेस्क, नोएडा
Published by: Himanshu Mishra
Updated Sun, 05 May 2024 05:44 PM IST
सार
पोलाची के पास अंबारामपालयम में करपगा विरुक्षम नारियल उत्पादक कंपनी के अध्यक्ष एनके बागावथी ने कहा कि उनके सभी बोरवेल और कुएं सूख चुके हैं। नारियल के पेड़ों को बचाने के लिए किसानों को पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पानी से भरे एक टैंकर से सिर्फ 30 पेड़ों की ही सिंचाई हो पाती है।
तमिलनाडु के कोयंबटूर में काफी लंबे समय से सूखा है। ऐसे में बड़े पैमाने पर अब नारियल की बागवानी प्रभावित हुई है। पानी के संकट के चलते नारियल के पेड़ सूखने लगे हैं। बागवान पेडों को बचाने के लिए पानी खरीदकर सिंचाई करने को मजबूर हैं। बागवानों का कहना है कि वह अपने बगानो की सिंचाई के पानी के लिए टैंकरों पर निर्भर हैं। एक टैंकर में छह हजार लीटर पानी रहता है जिसके लिए किसानों को एक हजार रुपये देने पड़ते हैं। कोयंबटूर में, पोलाची, अनाईमलाई और किनाथुकाडावु तालुकों में नारियल के पेड़ों की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है।
एक करोड़ से अधिक पेड़ हैं
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार सूखे से प्रभावित इलाकों में नारियल के लगभग एक करोड़ से अधिक पेड़ हैं। इस बार ये इलाके सूखे की मार झेल रहे हैं। बड़े पैमाने पर पेड़ सूख चुके हैं। जो पेड़ बचे हुए हैं उनके भी पत्ते पीले पड़ रहे हैं। पोलाची के पास अंबारामपालयम में करपगा विरुक्षम नारियल उत्पादक कंपनी के अध्यक्ष एनके बागावथी ने कहा कि उनके सभी बोरवेल और कुएं सूख चुके हैं। नारियल के पेड़ों को बचाने के लिए किसानों को पानी खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पानी से भरे एक टैंकर से सिर्फ 30 पेड़ों की ही सिंचाई हो पाती है।
पेड़ों को बचाने के लिए महीने में कम से कम 10 बार पानी देना पड़ रहा है। इसके कारण उन्हें प्रति एकड़ में सिर्फ सिंचाई के लिए करीब बीस हजार रुपये तक खर्च करना पड़ रहा है। एनके बागावथी ने कहा कि सूखे पेडों को बचाने के लिए वो पिछले डेढ़ महीने से पानी खरीद रहे हैं। किसानों को लिए चिंता की बात यह है कि कई जगहों पर भूगर्भ जल स्तर 1000 फीट से नीचे चला गया है। इसके कारण उनकी नारियल की खेती अब संकट में आ गई है। पानी की कमी का जिक्र करते हुए एनके बागावथी ने कहा कि अगर क्षेत्र में अगले 15 दिनों के अंदर अच्छी बारिश नहीं होती है तो लगभग 50 प्रतिशत पेड़ सूख जाएंगे। इससे इलाके के नारियल किसानों की आजीविका पर एक बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।
नारियल के उत्पादन में आई है कमी
अन्नामलाई टेंडर कोकोनट ग्रोवर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एई श्रीनिवासन कहते हैं कि पानी की कमी और अधिक गर्मी के कारण सफेद मक्खी के हमले और जड़ विल्ट रोग के कारण नारियल के पेड़ बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इसके कारण उत्पादन घटकर 25 फीसदी हो गया है। उन्होंने कहा कि आम तौर पर अप्रैल मई के महीने में पोलाची और उडुमलाईपेट्टई क्षेत्रों से हर दिन 1.50 से लेकर दो लाख तक नारियल बाजार में पहुंचते थे पर इस बार आपूर्ति घट कर 50,000 से नीचे गिर गई है। आपूर्ति में कमी आने के कारण कच्चे नारियल की की कीमत पिछले साल के मुकाबले 34-39 फीसदी तक बढ़ गई है।
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